उन्हें प्रणाम
हे ! स्वतंत्र देश के वासी ,
निश्छल निष्पाप हृदय राशी
जो दे गये तुम्हें अमृत दान ,
कर जोड़ करो उन्हें प्रणाम ।
जो मिट गये इस भू पर आजादी की करके पुकार
गुणगान करो तुम उनका करके जयकार ,
हृदय में रखो उनके लिये मान
कर जोड़ करो उन्हें प्रणाम ।
‘गाँधी’ , टैगोर और बोस ,
आजादी का करके जयघोष
जो दे गये हमे , अमूल्य रत्न
करके ‘सत्य-अहिंसा’ का प्रसंग ,
हमको उन पर है , अभिमान
कर जोड़ कर रहे उन्हें प्रणाम ।
वो आजादी के परवाने
भारत माँ के दीवाने
जिन्होंने आजादी के नाम पर
रख लिया अपना नाम
कर जोड़ कर रहे उन्हें प्रणाम ।
उन ‘शहीद-ए-आजमों’ का सर्वत्र हो रहा जयघोष ,
जो दे गये दिव्य-अलौकिक सन्देश ,
जिनका रविमण्डल सा विखर रहा प्रकाश
उनको नमन करने की अभिलाष ,
जो भू पर अमर कर गये स्वनाम
कर जोड़ कर रहे उन्हें प्रणाम ।।
– आनन्द कुमार