उन्हें प्यार दो
भले ही भूखे सो जाओं
पानी पीकर सो जाओं
लेकिन सुबह उठते ही
अपने धुन में लग जाओं.
पौधों को पानी दो
फूलों को खिलने दो
ठंडे पानी से नहाकर
तुलसी में पानी दो.
सुकर्म -स्वकर्म ही पूजा है
असफल होने पर भी
सफलता के प्रयास करो
फिर से परीक्षा दो.
धार्मिक बनों, आस्तिक बनों
कभी भी मत पछताओं
आरती कि थाली में तुम
कुछ सिक्के अवश्य दो.
जो तुम्हारी प्रतीक्षा में हैं
उनसे मिलों, उन्हें प्यार दो
दिनभर काम करों अपना
शाम को घर आ जाओं.
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@रचना – घनश्याम पोद्दार
मुंगेर