उन्हें दिल लगाना न आया
उन्हें दिल्लगी आई, दिल लगाना न आया।
हमने हरदम अपना माना जिसे, वही कर गया पराया।
ये खेल दिल को महंगा पड़ा, जिसको जीतना चाहा उसने ही हमको हराया।
इनको आता है बातें बनाना, न जाने कितनी बार झूठा ख्वाब हमें दिखाया।
इन्हे बेवफा कहूं तो कैसे, जब मन किया तब दिल में बसा लिया और जब मन भर गया तब नजरों से गिराया।
मेरी आंखों में आसूं है, पर अब माफ न करूंगी तुमको और निगाहों से हमने अगर सावन बरसाया।