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25 May 2020 · 1 min read

उन्मुक्त पंछी

हमारी चहक में न अंतर पड़ा है ।
न कोई हमें रोक करके खड़ा है ।।

हमें भी किसी से न शिकवा गिला है ।
हमें जो मिला है प्रकृति से मिला है ।।

न हमने कभी जंगलों को उजाड़ा ।
न हमने कभी दूसरों को पछाड़ा ।।

हमें आज भी सुख वही मिल रहा है ।
हमारा चमन तो अभी खिल रहा है ।।

हमें खेत में मिल रहे खूब दाने ।
न देता है हमको कोई आज ताने ।।

प्रकृति जहाँ मुड़ती वहीं मुड़ रहे हैं ।
हम उन्मुक्त आकाश में उड़ रहे है ।।

प्रकृति से अनाचार जो भी करेगा ।
वो ऐंसे ही बेमौत एक दिन मरेगा ।।

मनुज तुमने भी इसको बेजा सताया ।
इसी का ये परिणाम है आज पाया ।।

Language: Hindi
173 Views
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