उनके बगैर जिंदगी सचमुच मुहाल है
शामो सहर उन्हीं का फक़त अब ख्याल है
उनके बग़ैर जिंदगी सचमुच मुहाल है
दिन हो गए पहाड़ से रातें हैं खौफ़नाक़
कैसे बिताएं वक़्त ये मुश्किल सवाल है
हर बात समझकर भी समझता ही नहीं वो
यह यार हमारा भी बड़ा बाक़माल है
अब और इन्तिज़ार कराओ न ऐ सनम
तुझसे बिछड़ के आज बुरा मेरा हाल है
अब तो कँवल यक़ीन की हद से गुज़र गई
वो पात – पात है तो कभी डाल – डाल है