उनके प्यार की धूप आने लगी है —आर के रस्तोगी
उनके प्यार की धूप आने लगी है
सुबह से ही मुझको गर्माने लगी है
देखता हूँ वे पिघलती है न पिघलती
पर मेरे दिल की बर्फ पिघलने लगी है
उनकी जुल्फे अब लहराने लगी है
छत पर चढ़ कर सुखाने लगी है
देखता हूँ वे क्या कह रही है
शायद वे मुझको सिग्नल देने लगी है
उनके पैरो की पायल अब कुछ
अपनी जबान में कुछ कहने लगी है
पहनी है लाल रंग की चूडिया
इसका अर्थ समझाने लगी है
माथे की बिंदिया चमकने लगी है
सोलह सिंगार वे करने लगी है
मांग में सिन्दूर भरेगा कौन ?
उसका इंतजार वे करने लगी है
जब से उन पर पहरे लगने लगे है
कुछ सहमी सी सहमी रहने लगी है
फिर भी अपनी यादो के सहारे
दिल में प्रियतम का चित्र बनाने लगी है
जब से उनको जुल्फे लहराते देखा
हम भी बहाने से छत पर जाने लगे है
कब कैसे कहाँ मिले हम दोनों
इशारों इशारों में कुछ कहने लगे है
खुल कर बात हम कहें कैसे
कि तुमसे हम प्यार करने लगे है
सोचा यह कई बार,पर कह न सके
अपने आप में हम शर्माने लगे है
ऐसी ही होती है प्यार की शुरुआत
लोग इसको खूब समझने लगे है
प्यार करने वाले समझे न समझे
रस्तोगी तो उनको समझाने लगे है
आर के रस्तोगी