उनके घर आया मेहमान
उनके घर आया मेहमान ।
रखने हम सबका वो मान ।।
घर में गूँजी किलकारियां।
वंश बढ़ा ,हैं कलवारिया।।
माँगी दुआ आया लाल ।
गुलाब जैसे उसके गाल।।
मन में हुई हैं असीम शांति ।
होनी ऐसी मिटी सब भ्रांति ।।
शुभ दिवस घड़ी थी पावन।
बरस रहा था मास सावन ।।
सम्वत दो हजार छिहत्तर ।
सूर्य दक्षिणायन शुभ पहर ।।
दिन गुरुवार ,था ब्रह्म मुहूर्त।
वर्ण वैश्य ,नाड़ी जान अंत ।।
अधिपति चन्द्र कर्क लग्न।
ग्रह भी थे सब खूब मगन ।।
श्रवण शुक्ल पूर्णिमा तिथि।
घर आया मेरे एक अतिथि।।
देश मे था हर्ष और उल्लास।
हम थे आज गुरु उपवास ।।
स्वतंत्रता की थी बड़ी धूम।
दो दो पर्व सब रहे थे झूम।।
कम ही होते ऐसे संयोग।
घर घर बने लड्डू भोग।।
प्रकृति में सब ओर हरा।
देखो झूम रही वसुंधरा।।
नभ में बादल गरज रहे।
नदी नाले भी खूब भरें।।
जग देता हैं यह आशीष।
लोक में फैलेगा खूब यश।।
।।।जेपीएल।।