#उनकी हैं यादें जवाँ
✍
~ २४-६-१९७३ ~
★ #उनकी हैं यादें जवाँ ★
इस पार एकाकी मैं तड़पता
क्षितिज के उस पार तुम
यूँ ही भँवर में तिरते – उतराते
हो जाएंगे गुम
यूँ ही हुआ है अक्सर ओ प्रियतम
दीवाने से तेरे मज़ाक
खुद ही दिखाकर के सपने सुहाने
किस्मत ने उड़ा दी है ख़ाक
ज़माने से कह दे कोई यह जा के
लाख रोके हमारी डगर
आख़िर मिलेंगे उस मोड़ पर हम
ख़त्म होगा जहाँ ज़िन्दगी का सफ़र
किसका रहा है किसका रहेगा
दुनिया में बाकी निशाँ
लेकिन, जो जान देते हैं मुहब्बत में यारो
उनकी हैं यादें जवाँ . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२