Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2021 · 1 min read

उनकी बाहों का सहारा

उनकी बाहों का सहारा नसीब हो, तो क्या हो
बीच मझधार में किनारा नसीब हो, तो क्या हो
उन खुशगंवार लम्हों का सहारा हो, तो क्या हो
तनहा रातों में तेरे आलिंगन का सहारा हो, तो क्या हो

Language: Hindi
1 Like · 184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
*मीठे बोल*
*मीठे बोल*
Poonam Matia
जिम्मेदारियाॅं
जिम्मेदारियाॅं
Paras Nath Jha
बलराम विवाह
बलराम विवाह
Rekha Drolia
मेरी हैसियत
मेरी हैसियत
आर एस आघात
23/30.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/30.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मईया रानी
मईया रानी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
भारत वर्ष (शक्ति छन्द)
भारत वर्ष (शक्ति छन्द)
नाथ सोनांचली
तुम्हीं  से  मेरी   जिंदगानी  रहेगी।
तुम्हीं से मेरी जिंदगानी रहेगी।
Rituraj shivem verma
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
Mahender Singh
जीवन के सफ़र में
जीवन के सफ़र में
Surinder blackpen
वो इश्क की गली का
वो इश्क की गली का
साहित्य गौरव
अधिकांश होते हैं गुमराह
अधिकांश होते हैं गुमराह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*Author प्रणय प्रभात*
!! ईश्वर का धन्यवाद करो !!
!! ईश्वर का धन्यवाद करो !!
Akash Yadav
Almost everyone regard this world as a battlefield and this
Almost everyone regard this world as a battlefield and this
Sukoon
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
मैं बदलना अगर नहीं चाहूँ
Dr fauzia Naseem shad
मां
मां
Irshad Aatif
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
परमात्मा से अरदास
परमात्मा से अरदास
Rajni kapoor
मेरा शहर
मेरा शहर
विजय कुमार अग्रवाल
*षडानन (बाल कविता)*
*षडानन (बाल कविता)*
Ravi Prakash
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
umesh mehra
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
कवि रमेशराज
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
धर्मी जब खुल कर नंगे होते हैं।
Dr MusafiR BaithA
ऐसे साथ की जरूरत
ऐसे साथ की जरूरत
Vandna Thakur
किसी की हिफाजत में,
किसी की हिफाजत में,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...