उनकी आमद हुई।
महफ़िल में उनकी आमद हुई।
हर नज़र अदबो लिहाज़ से झुक गई।।1।।
दिलके दरवाज़े पे दस्तक हुई।
हर ख्वाहिश लब पर आके रुक गई।।2।।
आज कातिल से नजरे मिली।
यूं बेवफ़ा की आंखें शर्म से झुक गई।।3।।
इश्क में मिलती है तन्हाईयां।
कितनी जिंदगियां इसमें में लुट गई।।4।।
बंद करों सियासते मज़हब।
बड़ी बस्तियाँ झगड़ों में उजड़ गई।।5।।
रूह को कैसे कर दे पाक।
इच्छाएं जीवन – मृत्यु में फंस गई।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ