उनकी आमद से
गुलशन में शगुफ़्ता कलियाँ महकी महकी है ,
सबा भी खुश़गवार बहकी बहकी है ,
इधर उधर उड़ती चिड़ियाँ भी चहकी चहकी हैं ,
रंग बिरंगी उड़ती तितलियाँ भी लहकी लहकी हैं ,
हर सिम़्त बिखरी शब़नम़ भी चमकी चमकी है,
जब से उनके आने की खबर आई है ,
तब से फ़िज़ा में हरसू खुशियाँ छाई है ,
अब तक हर लम़्हा ग़मज़दा तारीकी में डूबा था ,
चिड़ियों के चहचहे थे गुमसुम शजर उदास था ,
उनकी आमद से गुलशन में बहार फिर लौट
आई है ,
ख़िज़ाँ के दिन खत्म हुए, अब हर तरफ खुशियाँ छाई है ,