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13 May 2020 · 1 min read

उनकी आंखों में वो पहली सी मुहब्बत न रही

उनकी आंखों में वो पहली सी मुहब्बत न रही
अपनी सूरत में भी पहली सी वो रंगत न रही

अब समझ आता नहीं ज़िन्दगी को कैसे जियें
क्या करें तेरे बिना जीने की आदत न रही

जब दगा दे गई हमको ही हमारी किस्मत
तो किसी से भी हमें कोई शिकायत न रही

तू नहीं पास हमारे है मगर यादें हैं
अब किसी साथी की हमको तो जरूरत न रही

वक़्त के साथ बदल ली है जो तुमने सीरत
अब तो मिलने की हमारी कोई सूरत न रही

दिल में आने दिया तुमको थी हमारी गलती
पर सज़ा सहने की अब हम में तो ताकत न रही

अब तो दौलत के तराजू में मुहब्बत तुलती
‘अर्चना’अब तो वफाओं की भी कीमत न रही

14-05-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

5 Likes · 1 Comment · 471 Views
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