उनकी आंखों में वो पहली सी मुहब्बत न रही
उनकी आंखों में वो पहली सी मुहब्बत न रही
अपनी सूरत में भी पहली सी वो रंगत न रही
अब समझ आता नहीं ज़िन्दगी को कैसे जियें
क्या करें तेरे बिना जीने की आदत न रही
जब दगा दे गई हमको ही हमारी किस्मत
तो किसी से भी हमें कोई शिकायत न रही
तू नहीं पास हमारे है मगर यादें हैं
अब किसी साथी की हमको तो जरूरत न रही
वक़्त के साथ बदल ली है जो तुमने सीरत
अब तो मिलने की हमारी कोई सूरत न रही
दिल में आने दिया तुमको थी हमारी गलती
पर सज़ा सहने की अब हम में तो ताकत न रही
अब तो दौलत के तराजू में मुहब्बत तुलती
‘अर्चना’अब तो वफाओं की भी कीमत न रही
14-05-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद