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25 Dec 2021 · 1 min read

उनका ज़िक्र आ गया।

आज फिर बातों-बातों में यूँ ही उनका ज़िक्र आ गया।
जो हमसे कभी इश्क़ में हमारा बनके था बिछड़ गया।।1।।

इक मुद्दत बाद देखा जो उसको तो यकीन ना हुआ।
हम थे बाज़ार में दुकानों पर वह यूँ ही नज़र आ गया।।2।।

हर छोटी से छोटी चीज भी मायने रखती है बड़ा।
वह देखो जुगनुओं का चमकना महताब को भा गया।।3।।

उस बे दिल को लगता था हमें इश्क़ नहीं है उससे।
पर देखो ये कहने भर से ही अश्क़ नज़र को आ गया।।4।।

ये मोहब्ब्त तो है खुदा इश्क़ करने वालों के लिए।
तभी तो पहली ही नज़र में वह दिल को था भा गया।।5।।

वह इश्क़ कहाँ जो इस दुनियाँ में मुकम्मल हो जाए।
चलो मेरा भी मोहब्बत में बहुत जीना मरना हो गया।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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