उनका लिखना
लघुकथा
उनका लिखना
*अनिल शूर आज़ाद
तेज गति से आती एक अनियंत्रित बस ने एक युवक को कुचल दिया। तुरन्त ही वहां भीड़ इकट्ठा हो गई। दुर्घटना होते ही बस-चालक जाने कहां हवा हो गया। कुछ और हाथ न लगा तो, उग्र भीड़ ने बस को ही बुरी तरह तोड़-फोड़ डाला। इतने में पुलिस की एक ‘जिप्सी’ भी वहां पहुंच गई।
पुलिस के दो कर्मचारी..अभी-अभी वहां आए बस के मालिक के साथ..एक ओर जाकर कुछ बातचीत करने लगे। पुलिस का एक जवान घायल युवक के पास खड़ी जिप्सी के बोनट पर कागज रखकर..कुछ लिखने लगा।
“अजी साहब, इसमें जान बाक़ी है.. देखो, इसके होंठ हिल रहे हैं..इसे पहले अस्पताल पहुंचाओ भाई..” एक बुजुर्ग ने अधीर होकर कहा।
लेकिन..पुलिस वाले पर उसके शब्दों का कोई असर नही हुआ। वह कागज पर, जाने क्या गटर-पटर लिखता रहा।
देखते-देखते घायल युवक ने दम तोड़ दिया।
मगर..पुलिसवाला अभी भी कुछ लिखे जा रहा था, बस लिखे ही जा रहा था….