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27 Aug 2024 · 1 min read

उदास एक मुझी को तो कर नही जाता

उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
वह मुझसे रुठ के अपने भी घर नही जाता

वह दिन गये कि मुहबबत थी जान की बाज़ी
किसी से अब कोई बिछडे तो मर नही जाता
तुमहारा प्यार तो सांसों मे सांस लेता है
जो होता नश्शा तो इक दिन उतर नही जाता

पुराने रिश्तों की बेग़रिज़यां न समझेगा
वह अपने ओहदे से जब तक उतर नही जाता

‘उसकी तडप है, तो उसके पास चलो
कभी कुआं किसी प्यासे के घर नही जाता

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