उदासी
उदासी
बादल जैसी छाई उदासी।
घिर-घिर कर फिर आई उदासी।।
दिन-दिन बढ़ती ही जाती है।
जैसे हो मंहगाई उदासी।।
सूने दिल में बजती जैसे ।
दूर कहीं शहनाई उदासी।।
सागर की लहरों सी खुशियां
सागर की गहराई उदासी।।
शमा जली जब सूरज डूबा।
धुंआ-धुंआ सा लाई उदासी।।