उदासीन ह्रदय
( उदासीन हृदय)
कविता
अजब हैं जो बोल गया,
हृदय हमारा ढोल गया,|
साँसे हमारी अटक गयी,
आज काल को घोल गया,|
बुना गया था,वक्त हमारा,
जिसे कोई बोल गया,|
रो उठता हूँ,में उस समय पर,
जब मुझे कोई तोल गया,|
समय विचारा क्या करे,
आज आँख को खोल गया,|
बहता नीर आज दरिया,
जैसे आज समुन्दर खोल गया,|
न दिन देखा रात हुई,
उसी की याद में बोल गया,|
आज पुकारा जब मैने तो,
राह में अकेला छोड़ गया,|
आँसू निकले आज आँखो से,
आज समुन्दर खोल गया,||
अजब हैं जो बोल गया,
हृदय हमारा ढोल गया,||
लेखक—-Jayvind singh