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2 Jan 2020 · 1 min read

उदासीन ह्रदय

( उदासीन हृदय)
कविता

अजब हैं जो बोल गया,
हृदय हमारा ढोल गया,|

साँसे हमारी अटक गयी,
आज काल को घोल गया,|

बुना गया था,वक्त हमारा,
जिसे कोई बोल गया,|

रो उठता हूँ,में उस समय पर,
जब मुझे कोई तोल गया,|

समय विचारा क्या करे,
आज आँख को खोल गया,|

बहता नीर आज दरिया,
जैसे आज समुन्दर खोल गया,|

न दिन देखा रात हुई,
उसी की याद में बोल गया,|

आज पुकारा जब मैने तो,
राह में अकेला छोड़ गया,|

आँसू निकले आज आँखो से,
आज समुन्दर खोल गया,||

अजब हैं जो बोल गया,
हृदय हमारा ढोल गया,||

लेखक—-Jayvind singh

Language: Hindi
1 Like · 240 Views
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