उदारता””
जीवन में अपना हाथ कभी न फैलाना,
दान देकर गरीब को अपना हाथ ऊंचा रखना।
जीवन में सुख संतोष का पहने रहना गहना।।
जीवन के झंझावातो में, कर्तव्य पथ की राहों में,
बढ़ते रहना धीरे- धीरे ले उदारता का गहना।
उदारता का प्रतिरूप थे सूर्य पुत्र कर्ण
माता कुंती को दे दिया अपना कवच कुंडल
और उदारता से किया अपनी मृत्यु का वरण
उदारता सीखो चंदन से जो उसे काटता है कुठार ?
उसे भी अपनी सुगंध से सुरभित करता है।
उदारता सीखो फलदार वृक्ष से,
पत्थर मारने वाले को भी देता है।
मीठे फलों का दान वो ।।