उदयमान सूरज साक्षी है ,
उदयमान सूरज साक्षी है ,
अनन्त सामंजस्य संभावनाओं का ..
सुनहरी किरणों ज्यों -ज्यों निकलना ,
आपके मुखमंडल का यूं -यूं निखरना;
भिनसार का उर्जित मार्तण्ड चमकना,
हवाओ का शीतलता लेकर उमड़ना,
पोखर का अम्बु चमकना …
विहंगो का मोहक चहचहाना,
दिनकर का क्षितिज को पाना ….
– विवेक मिश्रा