उत्साह एक प्रेरक है
उत्साहित होना जीवन में,
अत्यंत महत्वपूर्ण होता है,
बिन उत्साह के जीवन जीना,
नीरस-सा जग ही दिखता है ।….(१)
रौनक मन की कुंठित होती ,
तन भी बोझिल लगता है ,
उड़ जाती है चेहरे की खुशियांँ,
सुख भी फीका-सा लगता है ।…(२)
उत्साह बिना जग के रंग व्यंग हैं ,
पुष्प गुलाब की सुगंध व्यर्थ है ,
उत्साह बिन इस बड़े संसार में ,
अरुचि भाव-सा ही जगता है ।..(३)
मन में जगाओ उत्साह जीने का ,
उत्साह जीवन का अद्भुत मंत्र है ,
पथ प्रदर्शित करता है जो जग में ,
उत्साह ही उसका प्रेरक है ।..(४)
मन को करता प्रसन्न अत्यंत,
ऊर्जा भर देता एक नई उमंग,
जज्बा पाने का कर दिखाने का,
उत्साह ही होता है आदि से अंत ।..(५)
🙏
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर