उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
चीर गया आरम्भ को ,अंधेरों में कौन ।
इच्छाओं के वेग में, टूट गया हर बन्ध –
प्रश्नों के अम्बार लगे, उत्तर सारे गौन।
सुशील सरना /
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
चीर गया आरम्भ को ,अंधेरों में कौन ।
इच्छाओं के वेग में, टूट गया हर बन्ध –
प्रश्नों के अम्बार लगे, उत्तर सारे गौन।
सुशील सरना /