उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
शब्द नहीं खोजे मिलते, जब होता है मेल
जब होता है मेल, लगे होठों पर ताला
थर थर कांपे हाथ लगे क्या होने वाला
क्या कहें ‘हृदय हरवंश’, जिह्वा गई कतर
नयनों की भाषा ही अब दिल में रही उतर
✍️ हरवंश ‘हृदय’