उतरेगा चाँद धरा एक दिन
उतरेगा चाँद धरा एक दिन,
होगा हृद प्यार भरा एक दिन।
मधुप करेंगे गुँजन उपवन,
कलिकाऐं भी मुस्कायेंगी,
वायु बहेगी चारु सुहानी,
विस्तारित गुनगुन का स्वर।
आयेगी शक्ति परा एक दिन,
होगा हृद प्यार भरा एक दिन।
महकेंगे सुमन हवाओं मे,
मकरंद घुलेंगे स्वाँसों में,
पंचम स्वर में अमराई से,
गीत कोकिला के मधु से।
खुश होगी चारु जरा एक दिन,
होगा हृद प्यार भरा एक दिन।
नीलाम्बर पर मेघमालिका,
शुचि चारु गर्जन तर्जन संग,
साथ दीप्ति विद्मुत को ले,
उत्सव हर्ष मनाऐंगे।
होगा क्षितिआँचल हरा एक दिन,
होगा हृद प्यार भरा एक दिन।
आयेगी मानव जीवन में,
खुशहाली निश्चय प्रतिपल,
अधरों पर मुस्कान तिरेगी,
प्रतिक्षण चहुँदिशि शुचितम।
होगा रूप चंद्रिका सा एक दिन,
होगा हृद प्यार भरा एक दिन।
–मौलिक एवम स्वरचित–
अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ
लखनऊ (उ.प्र)