उतरन
लघुकथा
उतरन
“घर की स्थिति से तुम भलीभांति वाकिफ हो फिर भी रीता को गीता के पुराने कपड़े पहनाने से क्यों मना करती हो ? रीता और गीता दोनों कोई गैर तो नहीं, सगी बहने हैं।” रमेश ने अपनी पत्नी से कहा।
“भले ही दो जोड़ी कपड़े पहनें, पर अपने पहने, किसी की उतरन नहीं, चाहे वह सगी बहन की ही क्यों न हो।” रजनी बोली।
रमेश शांत हो गया। उससे कुछ भी कहते न बना।
रजनी अपने खयालों में गुम हो गई। तीन बहनों में छोटी रजनी का पूरा बचपन और कैशोर्य दोनों बड़ी बहनों की उतरन पहनते गुजरा। जवानी की दहलीज पर पहुँचते ही मझली दीदी, रीता को जन्म देने के कुछ ही घंटे बाद दुनिया छोड़ गई। नवजात शिशु और तीन साल की बच्ची गीता की ठीक से देखभाल के नाम पर उसकी शादी, उसके पिताजी और ससुर जी ने सलाह – मशविरा कर उसके विधुर जीजा से ही कर दी थी।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़