उडृे पतंग वो कैसे कि जिसमे डोर नहीं
उड़े पतंग वो कैसे कि जिसमे डोर नहीं
बिना घटा के कभी नाचता है मोर नहीं
तू ही मुकाम है मेरा तू ही मेरी मंज़िल
चुनू मैं राह वो कैसे जो तेरी ओर नहीं
न जाने ख्वाहिशें कितनी दबाये बैठा है
कहा ये किसने के चलता है दिल पे ज़ोर नहीं
अदब है लाज़मी महफिल है ये अदीबों की
सुखन की शम्म’अ जलाओ मचाओ शोर नहीं
कोई नज़र तो कोई दिल चुराये बैठा है
बताओ कौन वो “मासूम” है जो चोर नहीं
मोनिका मासूम