उड़ जा,उड़ जा पतंग,तू ऐसे रे
जैसे उड़ते हैं पंछी, चलती हैं बहारें।
ऐसे होकर दीवाना, गाये मन रे
उड़ जा, उड़ जा, पतंग तू ऐसे रे।।
जैसे उड़ते हैं पंछी———————।।
बनकर उमंग तू मन की, साथ हमेशा देना मेरा।।
निभाना अपनी वफ़ा तू , नहीं छोड़ना हाथ मेरा।।
जैसे नदियों के जल में, दौड़ती हैं हिलोरें।
ऐसे साथ निभा तू मेरा रे।।
उड़ जा, उड़ जा, पतंग तू ऐसे रे।
जैसे उड़ते हैं पंछी————————-।।
लिखता हूँ खत मैं किसी को, तुमको मालूम है सब कुछ।
मुझको है मोहब्बत किससे, तुमको खबर है सब कुछ।।
जैसे सपनों में प्यारे, आते हैं जो चेहरें।
तू भी बन जा तस्वीर वैसी रे।।
उड़ जा,उड़ जा, पतंग तू ऐसे रे।।
जैसे उड़ते हैं पंछी————————–।।
यकीन है हमको किस पर, किसका इंतजार है हमको।
हम है कुर्बान किस पर, क्या नहीं है एतबार उनको।।
जैसे चमके है नभ में, रोशन यूं सितारें।
बन जा ऐसे तू , प्रीत मेरी रे।।
उड़ जा, उड़ जा, पतंग तू ऐसे रे।।
जैसे उड़ते हैं पंछी—————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)