उड़ कर बहुत उड़े
उड़ कर बहुत उड़े
थोडा चलकर देखना है ।।
आसमा बहुत छू लिए
अब धरती को छूना है ।।१।।
पंखों ने देखा जहां
पग देखने को बेताब ।
डगर कठिन होगी मेरी
मंज़िल ठहरने को बेताब ।।२।।
सारा जग पूजा मैने
अब फैलाने को हूं प्रकाश ।
मिलन क्षितिज का होगा
या होंगे विश्व विख्यात ।।३।।
कविप्रकाश