Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

उड़ने दे मुझे

सूख चुके हैं
नयन-नीरद
फिर भी ये
बरसने को बेताब
पर विडंबना यही
कि सूख चुके हैं
नयन-तलाव
फिर भी ये
बिखरने को बेताब
पर तड़पना यही
कि सूख चुके हैं
भाव-सरोवर
फिर भी ये
बहने को बेताब
पर तरसना यही
मुरझा चुके हैं
नयन-उत्पल
फिर भी ये
महकने को बेताब
पर बिलखना यही
सिमट चुके हैं
समय के पंख
फिर भी ये
उड़ने को बेताब
पर सुलगना यही
निकल चुके हैं
सावन के बदरा
फिर भी ये
गरजने को बेताब
पर कलपना यही
गुजर चुका है
पथिक-बटोही
फिर भी ये
मिलने को बेताब
****************
झँझा ले जा चुके हैं
मेरे हिस्से की
मिट्टी को
अब यहाँ
मेरा ठहरना
मुनासिब न होगा
मेरे बेतरतीब किस्से
अब जाहिर न होंगे
ब्लैक होल मुझको
पहचान चुका है
अब कशिश देह की
जगजाहिर न होगी
मधुपों ने
रक्त-पुहुपों का
रस जो
पी लिया है
अब यादें भी
मेहरबाँ मुझ पर न होंगी
मैंने उनके हिस्से का
वक्त जो
ज्यादा ले लिया है
उडा़न बस उडा़न
निश्चित होगी
मेरी मंजिलों का
हासिल भी
अब फ़कत
मिल चुका है
चल हट अब
वक्त के पहरुए
इस पखेरुवा को
उड़ने दे
बस. .
उड़ने दे. . . . . .

#सोनू_हंस

Language: Hindi
76 Views

You may also like these posts

मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जब भी अपनी दांत दिखाते
जब भी अपनी दांत दिखाते
AJAY AMITABH SUMAN
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
एक इस आदत से, बदनाम यहाँ हम हो गए
gurudeenverma198
*मकान (बाल कविता)*
*मकान (बाल कविता)*
Ravi Prakash
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
Sanjay ' शून्य'
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
देहरीहीन दौर
देहरीहीन दौर
पूर्वार्थ
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
शेखर सिंह
कोसों लंबी ख़ामोशी,
कोसों लंबी ख़ामोशी,
हिमांशु Kulshrestha
" क़ैदी विचाराधीन हूँ "
Chunnu Lal Gupta
आहिस्ता उतरते - उतरते,
आहिस्ता उतरते - उतरते,
ओसमणी साहू 'ओश'
रिश्ते
रिश्ते
Ruchika Rai
एक बावला सा लड़का
एक बावला सा लड़का
Akash RC Sharma
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
Dushyant Kumar
औरतें ऐसी ही होती हैं
औरतें ऐसी ही होती हैं
Mamta Singh Devaa
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सत्य कुमार प्रेमी
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बसंत का मौसम
बसंत का मौसम
Pushpa Tiwari
शायद वो सारे हसीन लम्हे अब कहीं खो से गए...
शायद वो सारे हसीन लम्हे अब कहीं खो से गए...
Ajit Kumar "Karn"
ज्ञान उसे नहीं कहते हैं
ज्ञान उसे नहीं कहते हैं
Ragini Kumari
"समझदार लोग किसी की ईंट के बदले पत्थर नहीं फेंकते। ईंटों को
*प्रणय*
एकलव्य
एकलव्य
Khajan Singh Nain
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
मत छोड़ो गॉंव
मत छोड़ो गॉंव
Dr. Kishan tandon kranti
3565.💐 *पूर्णिका* 💐
3565.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सर्दी
सर्दी
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
यौवन
यौवन
Ashwani Kumar Jaiswal
देश के लाल,लाल बहादुर शास्त्री।
देश के लाल,लाल बहादुर शास्त्री।
Acharya Rama Nand Mandal
कर्म फल भावार्थ सहित
कर्म फल भावार्थ सहित
Sudhir srivastava
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
ये हक़ीक़त है ज़िंदगानी की,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...