उठ रही है ज्वाला दिल में तेरे,,,,
दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले,,!!
ग़ज़ल
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तुम क्यूँ छटपटा रहे हो,क्या है जलन, मुझसे,
जलन है जो तेरी, तो पूछ लो मसलन, मुझसे।
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कर्म है मेरा मैं जो कर रहा हूँ खुशी है जिसमे,
दर्द है अगर कह के हलका कर ले मन, मुझसे
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उठ रही ज्वाला दिल मे तेरे कर ले जरा शांत,
जल जाऐगा तुम्हारा, चर्म का ये बदन, मुझसे
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मुझ को छोड़ इक बार झाँक अपने गिरेबाँ में,
प्यार मुहब्बत जान ले यही है मेरा धन,मुझसे
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खुद को यूँ बरबाद न कर कमबख्त मेरे पिछे,
गर बनना है इसाँ तुझे तो जान जतन, मुझसे
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इतरा न कर औकात तेरी सब जाने है “जैदि”,
गर लेना है तुझको, प्यार से मांग रतन,मुझसे
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शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।