उठ मुसाफिर
उठ मुसाफिर
सूरज की हर पहली किरण मेरे दरवाजे पर दस्तक दे जाती है,
भोर भई उठ मुसाफिर, रस घोल जाती है।
मैं नादान, मान उसे ही अलार्म की घंटी,
उतार कश्ती बहते पानी में, मंजिल को निकल पड़ी।।
#Seematuhaina
उठ मुसाफिर
सूरज की हर पहली किरण मेरे दरवाजे पर दस्तक दे जाती है,
भोर भई उठ मुसाफिर, रस घोल जाती है।
मैं नादान, मान उसे ही अलार्म की घंटी,
उतार कश्ती बहते पानी में, मंजिल को निकल पड़ी।।
#Seematuhaina