उठ जाग मनुष्य अपनी आँखें खोल,
उठ जाग मनुष्य अपनी आँखें खोल,
समय का तालिका बजता है निरंतर।
काम कर, कुछ कर, संसार में तू भी होल,
इस जीवन को नहीं मिलेगा दोबारा।
हर पल बदलता है, समय की धुन है ये,
जो नहीं समझता, वह होता है हरामी।
समय के साथ चल, नहीं रुकने वाला है,
जीते जी तू कर, कुछ समझने का कामी।
कुछ नहीं मिलता है, मुक्तक छंद में समझाया,
जो समझता है, वही करता है कुछ पाया।
मनुष्य का समय है, समझने का काम,
समय से पहले कर, मिलेगा तुझे नाम।
उठ जाग मनुष्य, अपने आप को जान,
समय का तालिका बजता है निरंतर।
काम कर, कुछ कर, संसार में तू भी होल,
इस जीवन को नहीं मिलेगा दोबारा।
विशाल..🙏🙏🙏