उठ जाओ भोर हुई…
उठ जाओ भोर हुई,
जग में हुई हलचल।
कोई तुम्हे याद करें,
जीवन में पल पल।।
रवि भी ले रथ चला,
पंछी लगे चहचहाने।
आओ देखें यह नजारे,
लग रहे है बहुत सुहाने।।
अब उठ भी जाओ,
कितना हम जगाए।
तुम बिन भोर अधूरी,
कैसे मन को समझाए।।
बह रही है ठंडी बयार,
पत्तो पर जमी शबनम।
तेरे साथ बिना लगती है,
आंखे मेरी नम ओ सनम।।