उठो वीर सैनिक भारत के …
उठो वीर सैनिक भारत के,
माता तुम्हें पुकार रही
शत्रु धूर्त है, खड़ा द्वार पर,
दानवता ललकार रही ।
तोड़ आज जंजीरे सारी,
प्रहरी बन तुम खड़े रहो
मृत्यु तुम्हें क्या मारेगी?
कर्तव्य मार्ग पर अड़े रहो ।
देखो पड़े न दृष्टि शत्रु की,
माँँ के धानी आँँचल पर ;
तुम रक्षक हो सीमा के,
न तुम-सा कोई धरातल पर ।
बाँँध कफन शीश पर वीरों,
पहनो केसरिया बाना
क्या होता है देश प्रेम,
फिर देखे आज जमाना ।
नाम तुम्हारा अमर सदा,
है अमर तुम्हारी कुर्बानी
शत्रुदल के सम्मुख तुमने
हार कभी नहीं मानी
हार कभी नहीं मानी …।
(मोहिनी तिवारी)