उठो विक्रम
राजा विक्रम!
क्या बेताल आज भी
तुम्हारे कंधे से भाग जाता है
तुम उसे कंधे पर
ले पाते हो ना
या वह कंधे पर भी नहीं आता
इतने वर्षों में किसने किसको
मजबूत किया है
यह एक यक्ष प्रश्न है
एक मजबूत,एक कमजोर
या दोनों मजबूत,दोनों कमजोर
एक दूसरे के सामने निरीह
लाचार,असहाय
जब तक प्रश्न रहेंगे
उत्तर भी हमारे बीच ही होंगे
होंगी समस्याएँ
समाधान को अपने गर्भ में छिपाए
पर उठना तो होगा,
जगना भी होगा
तंद्रा से
बेताल कंधे पर यूँ ही नहीं आता विक्रम
पराक्रम आज भी चाहिए
कंधे से भाग जाने के बाद
फिर उसी ऊर्जा से
बेताल को लाचार कर
कंधे पर उठा लेना ही
शौर्य और पराक्रम की
जीवंत परिभाषा है।
उठो विक्रम
परंपरा पर
जन जन की आस्था बनी रहे
पकड़ो बेताल को
धारो अपने कालजयी कंधों पर
चिर काल तक
काल के अनंत प्रवाह तक
हृदय के स्पंदन को
महसूस करते हुए
संवेदनशीलता के साथ
उठो विक्रम!
-✍️अनिल मिश्र,प्रकाशित©️®️