— उठो अब कुंभकर्णी —
सोया हुआ हिन्दू
अब जागने को तैयार है
शायद किसी द्वारा जगाने
को बेकरार है
लूटता हुआ घरोंदा
कैसे कोई लूटा दे
समझा रहा है कोई
फिर भी अनजान है
नींद ऐसी भी भला
किस काम की है
जिस में घर लूट जाए
पर कुम्भकरण की भांति
सोते रहने को तैयार है
उठा लो बीड़ा अब जाग जाओ
अपने हिन्दुत्व के नाते
फिर न कोइ लूट ले
बनती हुई ये जागीर है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ