उजाले तुम्हारी यादों के
उजाले तुम्हारी यादों के आए।
कुछ अपने और कुछ हैं पराए।
उजाले तुम्हारी यादों के आए।
हटते नहीं है मुसीबत के साए।
वक्त है ऐसा की कुछ न सुझाए।
उजाले तुम्हारी यादों के आए।
अब तो कुछ भी मन को न भाए।
सुख दुख तो बस आये जाए।
किस्सा अधूरा है किसको सुनाए।
उजाले तुम्हारी यादों के आए।
कैसे अब क़िस्मत आजमाएं।
वक्त फिरसे कहीं रूठ न जाए।
अब तो थोड़ा भी चैन न पाए।
उजाले तुम्हारी यादों के आए।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी