उजाला दिखाई देता है
घने अंधेरों में कुछ उजाला दिखाई देता है
दूर कहीं एक दिया जलता दिखाई देता है
ग़म की अंधेरी रात शायद अब जाने वाली है
उम्मीद का सूरज निकलता दिखाई देता है
यह अश्कों की बारिश अब थमने वाली है
फिज़ा मे अब मौसम बदलता दिखाई देता है
शायद उसके सितम की अब इंतिहा हो चुकी
वो संग दिल कुछ पिघलता दिखाई देता है
अए दिल तुझे किसी से मोहब्बत तो नहीं हो गई
ख्वाबों ख्यालों में कोई टहलता दिखाई देता है
ज़माने भर की ठोकरें खाने के बाद “अर्श”
दिल मेरा अब ज़रा संभलता दिखाई देता है