उजड़ रही यह धरा
अपनी धरा उजड़ रही, इसका कर सिंगार।
पेड़ लगाओ खूब अब, होगा ये उपकार।।
सबकी चिंता छोड़कर, रक्खो अपना ध्यान।
जाना सबको एक दिन, करना नहीं गुमान।।
————
@ अरशद रसूल
अपनी धरा उजड़ रही, इसका कर सिंगार।
पेड़ लगाओ खूब अब, होगा ये उपकार।।
सबकी चिंता छोड़कर, रक्खो अपना ध्यान।
जाना सबको एक दिन, करना नहीं गुमान।।
————
@ अरशद रसूल