उगल सगर इजोरिया आइ
चलल होइ
बौध्द आगन मे
मनक महक उठल इ संसार
विस्मृत चिन्ह काल्हि बिसरएब
उगल सगर इजोरिया आइ
देव मढ़ी वैशाली स्वर्गसँ पावन
हाथ जोड़ि कण कण केँ प्रणाम
मा मिथिले हम बौध्द चरण मे
संस्कृति संस्कारक बनी रखवार
ओघराएब ई खेत खलिहन मे
चाहै लाख बैरी करै उपहास
धूमिल इतिहासकए आगु लाकऽ
विस्मृत चिन्ह काल्हि बिसरएब
उगल सगर इजोरिया आइ
क्रमश………………..
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य