उगते विचार………
उगते विचार………
जो इंसान जितना सरल और सहज है,वह उतना ही सुखी है।
“मौज”
तेजी से बदलते सामाजिक परिवेश में मानवीय मूल्यों की मौत सबसे पहले हुई है।
“मौज”
अरबों के कोलाहल में सैकड़ों के विलाप कोई नहीं सुनता है।
“मौज”
धूर्त और मक्कार लोग हर चीज को अपने हिसाब से आसानी से पूर्णतः मोड़ लेते हैं जबकि नेक और ईमानदार मनुष्य को संघर्ष में उतरना पड़ता है तब जाकर कहीं कुछ मामूली सा बदलाव आता है।
“मौज”
जितना समय मूर्खों को समझाने में लगाएं, उससे थोड़ा कम भी अपने परिवेश को सुंदर बनाने में लगाएंगे तो सुकून मिलेगा।
“मौज”
आलस्य एक मानसिक बीमारी है जो धीरे-धीरे शारीरिक स्वास्थ्य को समाप्त कर देती है।
“मौज”