ई-उपवास
ई-उपवास
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आज अहाना कुछ अलग दिख रही थी। सुबह उसने डाइनिंग टेबल पर सबके साथ नाश्ता किया। कोई हड़बड़ी नहीं मचाई । अपने पापा से बात भी की और भाई से चुहल भी। मम्मी से मुंह भी बिगाड़ा …उफ्फ ये क्या बना दिया.. वरना तो रोज फोन में ऐसी डूबी रहती थी कि उसे पता ही नहीं होता था क्या खा रही है …खाना मुँह में जा रहा है या कहीं और….हँसी आती थी सबको उसे यूँ देखकर।
पर आज तो नज़ारा ही बदला हुआ था । यह
देखकर सब हैरान थे…. आज अहाना को क्या हो गया है? खैर , थोड़ी देर बाद वह कॉलेज चली गई। लौटकर आई तो खिली खिली सी थी। आते ही मम्मी के गले में बाँह डालकर बोली…”मम्मी क्या बनाया है? जल्दी से लगा दो..बड़ी भूख लगी है।” खाना आते ही खाने लगी और मम्मी को कॉलेज की बातें बताने लगी। फिर वहीं दीवान पर सो गई। मम्मी हैरान ….. क्योंकि पहले तो आते ही कमरे में बन्द हो जाती थी। खाना मेज पर पड़ा पड़ा ठंडा हो जाता था पर वह फोन का पीछा नहीं छोड़ती थी।
“कहीं इसका फोन खो तो नहीं गया” मम्मी को लगा।उसके कमरे में गईं तो देखा बड़े करीने से फोन मेज पर रखा था ।
ऐसे ही शाम हो गई । पापा के आफिस से आने पर अहाना का फिर बोलना शुरू हो गया । हँसी मज़ाक का दौर चलता रहा। आखिर उसके पापा ने पूछ ही लिया। “अहाना आज बड़ी बदली बदली लग रही हो क्या बात है बेटा… रोज ऐसे ही रहा करो .बहुत अच्छा लगता है ” यह सुनकर अहाना जोर से हँस पड़ी। बोली “पापा बदली कुछ नहीं हूँ…. just for change… हम सब दोस्तों ने हर महीने में एक दिन ई उपवास रखने का निर्णय लिया है जिससे आपस में एक दूसरे को वक़्त दे सकें। अगर आज का प्रयोग सार्थक रहा तो महीने में दो दिन रखा करेंगे । फोन , लैपटॉप , नेट को छोड़ना तो अब मुमकिन नहीं पर अपने दोस्तों और रिश्तों को भी तो नहीं छोड़ सकते न हम ……
18-09-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद