*** ” ईश्वर “***
ईश्वर
ईश्वर तेरे चरणों नित -नित शीश झुकाऊँ
प्रेम भक्ति से वंदन करते तुझमे लीन हो जाऊँ
प्रकृति की वादियों में झलक तुम्हारी पाऊँ
पावन भूमि की धरा पर निर्मल जल बन जाऊँ
कर्म बंधन में निष्काम भक्तिधारा बहा जाऊँ
इधर उधर भटकते हुए मन को बहलाऊँ
सुख दुःख के पलों में सदा तुम्हें मै ध्याऊँ
ईश्वर तेरी महिमा का गुण गाते हुए तर जाऊँ
तेरा तुझको अर्पण कर तुझमे ही समा जाऊँ
साक्षात् कराता हुआ अमर ज्योति कहलाऊँ
हर श्वांसो की धड़कन में नाम जप करते जाऊँ
*** शशिकला व्यास ***