ईश्वर
हरेक पल टूट रहा
दम (साँस ) घुट रहा हैं।
ईश्वर कह रहा दास्तान
मंदिर , मस्जिद, गिरजाघर, नहीं।
हमने बनायें थें इंसान
तंग आ गए।
हकीकत से न्याय
इंसाफ से ज्यादती
क्यों ना दीवार टूटी ।
अहंकार में प्यार
जादती में न्याय
क्षुब्ध अस्तित्व
जी रहे आज ।
? अहंकार हुआ कि अनाथ हुए। आजकल का पूरा समाज झूठी शान में अनाथ होते जा रहे हैं ।
आधुनिक शिक्षा की गुणवत्ता ,देखें सब जानते है पर बिना शिक्षा अधुरा है विकास ,उन्नयन के दायित्व से तुरन्त पीछे हट जाते हैं।_ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार (भागलपुर ) I