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16 Feb 2023 · 1 min read

ईश्वर से यही अरज

अपनों से नहीं कह सका

कभी अपने मन की बात

ऐसा करने से रोकते रहे

सदा मेरे ही कहीं जज़्बात

ना सुनने का माद्दा ईश्वर ने

बख्शी हमें जरूरत से कम

खुशियों की तुलना में कुछ

ज्यादा ही रहे जीवन में ग़म

दिल ही दिल समेटे रहता मैं

अपनों के प्रति उमड़ता प्यार

डर यही बना रहे कि सिर पर

छाएं नहीं गम के घन बेशुमार

ईश्वर से यही अरज कि रखें

आत्मबल को मेरे सदा पुष्ट

अपनों की अपेक्षाओं पर मिलूं

उन्हें मैं सदा सर्वदा ही दुरुस्त

मन में पुष्पित पल्लवित होती

रहे परस्पर प्रेम की अमर बेल

जीवन को बाधाओं से पार पा

मैं उन्हें हाशिए पर सकूं ढकेल

Language: Hindi
176 Views
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