Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2024 · 1 min read

*ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)

ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है (राधेश्यामी छंद)
____________________________
ईश्वर की रचना है धरती, आकाश उसी की काया है
जो दीख रहा चहुॅं ओर हमें, वह सभी उसी की माया है
सब सूर्य चंद्रमा तारागण, उसके विधान से चलते हैं
फूलों के रंग निखरकर फिर, उसकी मर्जी से ढलते हैं

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

13 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
🙅एक शोध🙅
🙅एक शोध🙅
*प्रणय प्रभात*
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
जीने दो मुझे अपने वसूलों पर
goutam shaw
पुष्प
पुष्प
Dhirendra Singh
3190.*पूर्णिका*
3190.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
!! कुछ दिन और !!
!! कुछ दिन और !!
Chunnu Lal Gupta
वक़्त को वक़्त
वक़्त को वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उछल कूद खूब करता रहता हूं,
उछल कूद खूब करता रहता हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मायने रखता है
मायने रखता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेघ
मेघ
Rakesh Rastogi
मंजिल एक है
मंजिल एक है
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
Ranjeet kumar patre
'आरक्षितयुग'
'आरक्षितयुग'
पंकज कुमार कर्ण
“मैं सब कुछ सुनकर भी
“मैं सब कुछ सुनकर भी
गुमनाम 'बाबा'
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
Mahender Singh
बड़ी बात है ....!!
बड़ी बात है ....!!
हरवंश हृदय
नीरोगी काया
नीरोगी काया
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
संस्कारों का चोला जबरजस्ती पहना नहीं जा सकता है यह
संस्कारों का चोला जबरजस्ती पहना नहीं जा सकता है यह
Sonam Puneet Dubey
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
Seema gupta,Alwar
मतदान करो मतदान करो
मतदान करो मतदान करो
इंजी. संजय श्रीवास्तव
--पागल खाना ?--
--पागल खाना ?--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
हवेली का दर्द
हवेली का दर्द
Atul "Krishn"
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
*यह समय के एक दिन, हाथों से मारा जाएगा( हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
* ज्योति जगानी है *
* ज्योति जगानी है *
surenderpal vaidya
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
Anil Mishra Prahari
क्षणिका :
क्षणिका :
sushil sarna
****मैं इक निर्झरिणी****
****मैं इक निर्झरिणी****
Kavita Chouhan
Loading...