ईश्वर का अस्तित्व
एक बार महर्षि रमण के पास एक युवक आया और बोला, स्वामी जी क्या आप मेरे शंकाओ का निवारण करेंगे ।
महर्षि ने उत्तर दिया, अवश्य । उस युवक ने पहला प्रश्न किया, इस संसार मे इतना घोर अनर्थ कैसे हो रहा है ? यह प्रश्न तुम भगवान् से क्यो नही पूछते, महर्षि ने उससे प्रतिप्रश्न किया । युवक ने उत्तर दिया मगर मै उनके पास जाऊं कैसे ? वह दिखाई तो देते नही ।वास्तव मे मुझे उनके अस्तित्व पर ही शंका है । महर्षि ने पुनः उससे प्रश्न किया, भला ऐसी शंका क्यो है तुम्हे ? युवक बोला, सीधी -सी बात है । जब तक ईश्वर तक ईश्वर दिखाई न दे, तब तक कैसे जाना जाता है कि ईश्वर भी इस संसार मे विद्यमान है ? रमण महर्षि बोले, तुम ठीक कह रहे हो, मगर मेरे प्रश्न का जवाब दो ।क्या तुम्हारे पास दिमाग है? अवश्य, उसने उत्तर दिया । मगर मुझे तो वह दिखाई नही देता, महर्षि बोले । तब क्या मैं ऐसी धारणा बना लूं कि तुम्हारे पास दिमाग है ही नही ? बस, यही बात ईश्वर के बारे मे भी है । जिस तरह दिमाग के दिखाई न देते हुए भी हम ऐसी धारणा बना लेते है कि प्रत्येक मनुष्य को दिमाग होता है, उसी प्रकार भगवान् के दिखाई न देने पर भी उनके अस्तित्व के बारे मे शंका नही करनी चाहिए । वह युवक रमण महर्षि के इस तर्क से संतुष्ट हो प्रसन्नता से वापस लौट गया ।