मजहब और अस्पताल
मजहब और अस्पताल
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अस्पताल हैं हमें बचाते,
मजहब करता है बटवारा।
धर्म अनेकों हैं दुनिया में,
ईश्वर के भी नाम कई हैं।
जगह जगह पूजालय लाखों,
इस धरती पर धाम कई हैं।
इतने सारे देश बनें हैं,
इसी धरम के कारण भाई।
धर्मों के ही कारण होती,
मनुज मनुज में रोज़ लड़ाई।
ईश्वर ने दुख दूर किया कब?
लोगों ने तो बहुत पुकारा-
अस्पताल हैं हमें बचाते,
मजहब करता है बटवारा।
प्यार करो तुम इक-दूजे से,
भाई गुण की खान बनो तुम।
हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई
से पहले इंसान बनो तुम।
रहते यदि हम ईश भरोसे,
जीना भी आसान न होता।
मर जाते सब बीमारी से,
खड़ा अगर विज्ञान न होता।
कहने को तो हैं गिरजाघर,
मंदिर-मस्जिद औ गुरुद्वारा-
अस्पताल हैं हमें बचाते,
मजहब करता है बटवारा।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 19/03/2020