“ईश्वरीय-रूप” #100 शब्दों की कहानी”
स्नातक पूर्ण होने के बाद नीता स्नातकोत्तर के अध्ययन के साथ बैंक की प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु प्रयासरत थी ताकि पिताजी के रिटायरमेंट के पूर्व सफलता हासिल कर सके ।
रविवार को वह परीक्षा देकर सहेली संग टुव्हीलर पर वापिस आते समय बड़े हंप से टकराकर सिर के बल गिर गई, आंखों के सामने छाया एकदम अंधेरा , अचानक उसे जीवन नैय्या समुंदर के बहाव में डूबती नजर आई, साथ ही दिखा गोताखोर जो अपने परिवेश में कांटे से मछलियों को बचाने आया ।
फिर किसी मसीहा ने पानी पिलाया, होश आने के बाद से आज तक वह ईश्वरीय-रूप अदृश्य है ।