ईश्क वाली दोस्तीं
तुम पहले मिली होती तो कोई बात होती
तिरी मिरी दोस्ती की एक किताब होती।
तिरी मिरी यारी के कई फ़साने होते
एक दुजें के हम दिवानें होते
रिश्तें हमारी दोस्ती के इतनें पाक़ होते
हम इक दुजें के लिये ही खा़स होते ।
हमारी बातों के न कोई राज़ होते
हम ही एक दुसरें के हमराज़ होते
बीत जाते सारे वक्त हसींन पलो में
कुछ तिरी आँखों में कुछ तिरे लबों में
कुछ तिरी बातों में ,तुझसें मुलाकातों में
कुछ तिरी यादों में, कुछ जज्बातों में
अब जाकर तु जो मिली है
दोस्ती की नई कहानी लिखी है
वहीं हालात वहीं जज्बात होगें
एक दुजें के दिल में खास होगें
हर बातों के हम हमराज होगें
न कभी एक दुसरें से नाराज़ होगें
चलेंगे सदा ही इसी उसूल पर
मिरे ईश्क वाली दोस्ती को कबुल कर।
मिरे ईश्क वाली दोस्ती को कबुल कर।